चालक किसे कहते है

चालक किसे कहते है तथा चलको का वर्गीकरण करो तथा उनकी विशेषताओ लिखो ओर विद्युत् के कार्यो में प्रयोग होने वाले विभिन्न प्रकार के चालको का वर्णन करो 

हेल्लो दोस्तों स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट ई itimantra.com पर आज ह्म आपको बताने वाले है चालक किसे कहते है कौनसी धातु बिजली  पास करने के लिए अच्छी होती तथा  कौनसी अच्छी नही होती ओर अच्छी धातु में कौन कौन से गुण होने चाहिए तो चलिए जानते है आज के इस लेख में चालक के बारे में

चालक –ऐसे पदार्थ जो करंट के रस्ते में कम से कम प्रतिरोध करते है तथा जिनमे करंट आसानी से बह सके चालक कहलाते है 

अच्छे चालक के गुण :-

1.विशिष्ट प्रतिरोध कम होना चाहिए 

2.चालकता अधिक होनी चाहिए 

3.वातावरण तथा तापमान का कोई प्रभाव नही पड़ना चाहिए 

4.बाजार में सस्ता तथा आसानी से उपलब्ध होना चाहिए

5.यांत्रिक रुप में मजबूत होना चाहिए

चालको का वर्गीकरण –विद्युत् के कार्य में निम्न लिखित ठोस चालको का प्रयोग किया जाता है

 1.चांदी–यह विद्युत् का सबसे अच्छा चालक है 20 डिग्री C पर इसका विशिष्ट प्रतिरोध 1.64 माइक्रो ओह्म प्रति cm होता है लेकिन महंगी होने के कारण इसका प्रयोग नही किया जाता है इसका प्रयोग विद्युत् मापक यंत्रो तथा अधिक क्षमता वाले कोनेक्ट प्वांइट बनाने के लिए किया जाता है 

2.तांबा –यह विद्युत् का 90 प्रतिशत चालक है 20 डिग्री C पर इसका विशिष्ट प्रतिरोध 1.7 माइक्रो ओह्म cm होता है चांदी से कीमती होने के कारण इसका प्रयोग तारे ,केवल या विभिन्न प्रकार के होते है 

कठोर– इस प्रकार के चालक ठंडी अवस्था में डाइ द्वारा खिंच कर बनाये जाते है 

नर्म तारे–इस प्रकार के ताम्बे की तार गर्मी करने के पश्चात ठंडी करके बने जाती है जिसे तारे नर्म हो जाती है 

3.एलुमिनियम विद्युत् का 60% चालक होता है ताम्बे के मुकाबला सस्ता तथा हल्का होने के कारण इसका प्रयोग आजकल अधिक मात्रा में किया जाता है 20 डिग्री C पर इसका विशिष्ट प्रतिरोध 2.6*10-2 cm होता है इसका मुख्य अवगुण यह है की यह यांत्रिक रूप से कमजोर होता है 

ACSR इसका प्रयोग ओवर हैड लाइनों में किया जाता है ओवर हैड चालको को यांत्रिक रूप से मजबूत बनाने के लिए एलुमिनियम की तारे बीच स्टील की तार लगी जाती है 

4.पीतल – यह ताम्बे तथा जिंक की मिश्र धातु होती है चांदी की अपेक्षा यह विद्युत् की 48 प्रतिशत चालक होती है लेकिन यांत्रिक रूप से मजबूत होने के कारण इसका प्रयोग विभिन्न स्विचो के टर्मिनल बनाने या नट-बोल्ट इत्यादि के लिए किया जाता है 

5.लोहे – ताम्बे की अपेक्षा इसका प्रतिरोध 8 गुणा अधिक होता है इसलिए इसका प्रयोग वायरिंग इत्यादि के कार्यो में नही किया जाता है इसका G.I. की तारो ,मशीनों की बॉडी ,कवर इत्यादि बनाने ,कंडयुत पाइप स्विच कवर T.P.I.C.के कवर बनाने में होता है 

6.G.I. तारे(Galvanized iron wire) – लोहे के उपर गेल्वेनाइजेसन प्रक्रिया जस्तकी परत चढ़ा डी जाती है G.I. तारो का का प्रयोग अर्थ तार, सटे तार ,या केबलो की यांत्रिक सुरक्षा के लिए प्रयोग की जाती है 

 7.टीन– इस पर जंग नही लगता है लेकिन पिघलने का तापमान कम होता है इसका प्रयोग फ्यूज तार सोल्डरिंग तार बनाने के लिए किया जाता है 

8.सीसा – इसका भी पिघलने का तापमान टीन से थोडा अधिक होता है इसका प्रयोग बैटरियो में सेल बनाने सोल्डर तारे, लेड कवर ,केवलो में किया जाता है 

9.टंगस्टन–इसका पिघलने का तापमान 3400डिग्री C होता है यह एक कठोर धातु है इसलिए इसका प्रयोग विद्युत् लेपो में  भी किया जाता है 

10.गैसीय चालक – हीलियम,आर्गन,निओन,आदि गैस विद्युत् की सुचालक है विशेषता यह है की कम तापमान पर इसका प्रतिरोध अधिक होता है तथा अधिक तापमान इनका प्रतिरोध कम होता है 

अर्धचालक किसे कहते है मुख्य चालको के नाम बताओ 

अर्धचालक – इसे पदार्थ जिनकी प्रतिरोधकता चालको तथा कुचालक के बीच में होती है इस प्रकार के अर्धचालक मिश्रित धातुओ द्वारा बने होते है 

अर्धचालको के प्रकार:-

1.यूरिका–यह 60 प्रतिशत तांबा तथा 40  प्रतिशत निकेल को मिला कर बनाये जाते है इस का प्रयोग मुख्यत अस्थायी प्रतिरोध बनाने के लिए किया जाता है 

2.नाइक्रोम- यह 80 प्रतिशत निकेल तथा 20 प्रतिशत क्रोमियम को मिलाकर बनाया जाता है इसका पिघलने का तापमान ऊँचा होता है इसका प्रयोग हीटर,प्रेश ,छोटे विद्युत् भटियो,हेयर ड्रायर इत्यादि में किया जाता है 

3.केंथल– यह क्रोमियम,निकल,लोहा,आदि को मिलाकर बनाई जाती है इसका प्रयोग अधिक तापमान की भाटियो में किया जाता है 

4.जर्मन सिल्वर–यह 60 प्रतिशत तांबा तथा 15 प्रतिशत निकेल एवं 25प्रतिशत जिंक को मिलाकर बनाया जाता है इसका प्रयोग भी प्रतिरोधक बनाने में किया जाता है 

कुचालक किसे कहते है अच्छे कुचलक की विशेषता बताओ  तथा विभिन्न प्रकार के कुचालक का वर्णन करो 

कुचालक– इसे पदार्थ जो करंट को अपने में से न गुजरने दे कुचालक कहलाते है

अथवा

इलेक्ट्रोनिक सिधांत के अनुसार –इसे पदार्थ जिनके बहरी कक्ष में स्वतंत्र इलेक्ट्रोन नही अथवा पूरे-पूरे होते है विद्युत् के कुचालक कहलाते है 

कुचालको की विशेषताए–

  • कुचालको की चालकता कम तथा प्रतिरोधकता अधिक होती है 
  • अच्छे कुचालको पर नमी तथा तापमान का असर नही होना चाहिए
  • इनकी यांत्रिक शक्ति अच्छी  होनी चाहिए
  • अच्छे कुचालको (Dielectric Strength) अधिक से अधिक होनी चाहिए 

कुचालको के प्रकार :-

1.अभ्रक– यह विद्युत् का सबसे अच्छा कुचालक है इसकी डाई इलेक्ट्रिक क्षमता 20 से 60 किलो वोल्ट तक होती है तथा यह 600 डिग्री C तक तापमान सहन कर सकता है इसका प्रयोग क्म्युटेटर सगवेंट विभिन्न वायरिंग पैनल बोर्ड इत्यादि में किया जाता है 

2.एस्बेस्टार– इसकी डाई इलेक्ट्रिक स्ट्रेंथ 4.2 किलो वोल्ट होती है इसका प्रयोग विद्युत् प्रेस,आवेन,बिजली की केतली आदि में किया है 

3.पोर सिलेन– चीनी मिट्टी से बने पदार्थ को पोर सिलेन कहते है इसकी डाई इलेक्ट्रिक क्षमता 15 किलो वोल्ट प्रति mm है इसका प्रयोग ओवर हैड लाइन में विभिन्न प्रकार के insulator बनाने किट-कैट फ्यूज कवर बनाने या विभिन्न अधिक क्षमता के स्विच बनाने में किया जाता है 

4.बैकेलाइट– इसकी डाईइलेक्ट्रिक क्षमता 15 से 21 किलो वोल्ट प्रति mm तक होती है यह एक विशेष प्रकार का प्लास्टिक होता है इसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के वायरिंग उपकरण बनाने में किया जाता है जैसे लेप,होल्डर,स्विच ,सफितो के कवर बनाने के लिए किया जाता है 

5.P.V.C. –इसका पूरा नाम Poly Vinyl Chloride होता है इस पर नमी अम्लो का प्रभाव नही पड़ता है तथा विद्युत् का अच्छा कुचालक इसका प्रयोग विभिन्न तारो का इंसुलेशन बनाने में किया जाता है 

6.कांच– यह एक पारदर्शी कुचालक पदार्थ है इस पर नमी,तेल,ग्रीस,तेजाब, आदि का कोई प्रभाव नही पड़ता है इसकी यांत्रिक शक्ति कम होती है तथा तापमान सहन करने की क्षमता अधिक होती है इसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के लेप, मर्करी.आदि में किया जाता है 

7.ऐम्पायर–वार्निश में भीगे हुए कपड़े को एम्पायर क्लोथ कहते है ऐसा करने से कपड़े की तापमान सहने की क्षमता बढ़ जाती है जिसका प्रयोग वाइडिंग इत्यादि क्वायलो को अलग-अलग करने के लिए मुख्य रूप में प्रयोग की जाती है 

8.फाइवर– यह भी एक अच्छे insulator पदार्थ है इसका प्रयोग वायरिंग करने के बाद सलाटो को बंद करने या पैनल बोर्ड इस्यादी बनाने में प्रयोग किया जाता है 

9.इन्सुलेटिक आयल – यह खनिज तेल होता है इसे पेट्रोलियम को शुद्ध करते समय प्राप्त किया जाता है इसका प्रयोग ट्रांसफार्मर या अधिक करंट की क्षमता वाले स्विचो में किया जाता है यह उपकरणों के बीच इंसुलेसन के साथ-साथ उन्हें ठंडा करने का कार्य करता है 

10.वार्निश – यह भी खनिज तेल की तरह एक कुचालक पदार्थ है इसका प्रयोग मशीनों या ट्रांसफार्मर की करने के बाद वायनिंग पर लगाया जाता है जिसे तारो की इंसुलेसन क्षमता बढने के साथ-साथ तारे कठोर रूप धारण कर लेती है 

11.बीटूमन– यह भी एक प्राकृतिक पदार्ध है जो चारकोल से प्राप्त होती है गर्म करने के बाद यह गर्म पड़ जाता है जिसका प्रयोग अंडर ग्राउंड जोड़ो को भरने के लिए किया जाता है 

तापमान के आधार पर कुचालक पदार्थो का वर्गीकरण किस प्रकार किया जाता है 

1.Y वर्ग –इसमें वे पदार्थ आते है जो 90 डिग्री C तक तापमान सहन कर सकते है जैसे सूती कपड़ा ,कागज,इत्यादि 

2.A वर्ग – इसमें 105 डिग्रीC तक तापमान सहन करने वाले पदार्थ आते है जैसे कि तेल में डूबा हुआ कागज,कपड़ा इत्यादि 

3.E वर्ग – ये पदार्थ 120 डिग्री C तक तापमान सहन कर सकते है जैसे एंपायर,क्लोथ,लैदराइड,पेपर आदि 

4.B वर्ग – इसमें 130डिग्री C तापमान सहन करने वाले पदार्थ आते है जैसे की ऐसबेस्टास,कांच इत्यादि 

5.F वर्ग – 155 डिग्री C थ तापमान सहन करने वाले पदार्थ इस श्रेणी में आते है इसमें B वर्ग से अच्छे गुण वाले पदार्थ आते है 

6.H वर्ग – ये पदार्थ 180 डिग्री C तक  तापमान सहन कर सकते है जैसे अभ्रक इत्यादि 

7.C वर्ग –इसमें 225 डिग्री C तक तापमान सहन करने वाले कुचालक पदार्थ आते है जैसे पोर्सिलेन आदि 

Conclusion आशा है कि इस आर्टिकल में आपने चालक किसे कहते है में अधिक से अधिक जानकारी सीखने को मिली होगी. आगे भी हम इसी प्रकार की जानकारी आप तक पहुंचाते रहेंगे इसलिए अपने ज्ञान को बढ़ाते रहिए और इस वेबसाइट पर बार-बार विजिट करते रहिए अगर आप कोई सुझाव देना चाहते हैं या चाहते हैं कि किसी विशेष विषय पर आर्टिकल पब्लिश करें तो आप हमें कमेंट सेक्शन में बताएं. 

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